लंदनक्या अब क्रिकेटर बांस के बने बैट से भी खेलेंगे? इस बैट से क्या ज्यादा चौके-छक्के लगेंगे? अगर एक रिसर्च पर भरोसा करें तो इन दोनों सवालों का जवाब हां में है। क्रिकेट में ज्यादातर कश्मीर या इंग्लिश विलो (विशेष प्रकार के पेड़ की लकड़ी) के बैट का इस्तेमाल होता है। हालांकि, इंग्लैंड के कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में पता चला है कि बांस के बने बैट का इस्तेमाल कम खर्चीला होगा और उसका 'स्वीट स्पॉट' भी बड़ा होगा। इस रिसर्च को दर्शील शाह और बेन टिंक्लर-डेविस ने किया है। सस्ता भी होगा बैट शाह का मानना है कि बांस सस्ता है और काफी मात्रा में उपलब्ध है। यह तेजी से बढ़ता है और टिकाऊ भी है। बांस को उसकी टहनियों से उगाया जा सकता है और उसे पूरी तरह तैयार होने में सात साल लगते हैं। उन्होंने कहा, 'बांस चीन, जापान, साउथ अमेरिका जैसे देशों में भी काफी मात्रा में पाया जाता है जहां क्रिकेट अब लोकप्रिय हो रहा है।' इस अध्ययन को 'स्पोर्ट्स इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नॉलजी' पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। शाह और डेविस की जोड़ी ने खुलासा किया कि उनके पास इस तरह के बैट का प्रोटोटाइप है जिसे बांस की लकड़ी को परत दर परत चिपकाकर बनाया गया है। इंग्लिश विलो से बना एक बेहतरीन बैट लाख रुपये तक का भी मिलता है। औसतन इसकी कीमत आठ से दस हजार के बीच होती है। सख्त और मजबूत भीशोधकर्ताओं के अनुसार, बांस से बना बैट 'विलो' से बने बैट की तुलना में अधिक सख्त और मजबूत' था, हालांकि इसके टूटने की संभावना अधिक है। इसमें भी विलो बैट की तरह कंपन होता है। शाह ने कहा, 'यह विलो के बैट की तुलना में भारी है और हम इसमें कुछ और बदलाव करना चाहते हैं।' उन्होंने कहा, 'बांस के बैट का स्वीट स्पॉट ज्यादा बड़ा होता है, जो बैट के निचले हिस्से तक रहता है।' शाह पहले थाईलैंड की अंडर-19 क्रिकेट टीम से खेल चुके हैं। आईसीसी (इंटरनैशनल क्रिकेट काउंसिल) के नियमों के मुताबिक हालांकि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सिर्फ लकड़ी (विलो) के बैट के इस्तेमाल की इजाजत है। वैसे भी इस बैट का अभी कई स्तरों पर इस्तेमाल करके इसकी उपयोगिता का अंतिम आकलन करना बाकी है। कमाल का स्वीट-स्पॉटबल्ले में स्वीट स्पॉट बीच के हिस्से से थोड़ा नीचे लेकिन सबसे निचले हिस्से से ऊपर होता है और यहां से लगाया गया शॉट दमदार होता है। दर्शील शाह ने 'द टाइम्स' से कहा, 'एक बांस के बैट से यॉर्कर गेंद पर चौका मारना आसान होता है क्योंकि इसका स्वीट स्पॉट बड़ा होता है। यॉर्कर पर ही नहीं बल्कि हर तरह के शॉट के लिए यह बेहतर है।' गार्जियन अखबार के मुताबिक, 'इंग्लिश विलो की आपूर्ति के साथ समस्या है। इस पेड़ को तैयार होने में लगभग 15 साल लगते हैं और बैट बनाते समय 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत लकड़ी बर्बाद हो जाती है।'
from Cricket News in Hindi : Cricket Updates, Live Cricket Scorecard, Cricket Schedules, Match Results, Teams and Points Table, India vs Australia test series – Navbharat Times https://ift.tt/3tChnZt
No comments:
Post a Comment